भोपाल गैस त्रासदी: एक अद्वितीय और दर्दनाक घटना
- प्रदूषण से दुनिया को बचाना है: एक छोटी सी भूल, बड़ी सजा। ज्यादा पेड़ लगाना है |
- इंसान की एक छोटी सी गलती, लाखों जीवों की मौके की घड़ी को बदल सकती है।
- ‘भूल’ का नाम, भोपाल गैस त्रासदी।”
- “भूल नहीं,
- लापरवाही! भोपाल गैस त्रासदी का सिखने योग्य सिखाने वाला सफर।”
भोपाल गैस त्रासदी हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है
भोपाल गैस त्रासदी एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना थी, जो 3 दिसम्बर 1984 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर में हुई। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से भी जाना जाता है। भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे लगभग 15,000 से अधिक लोगों की जान गई और कई लोग अनेक प्रकार की शारीरिक अपंगता और अन्य बीमारियों से प्रभावित हो गए।
भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक मानी जाती है। इस दुर्घटना के परिणामस्वरूप, सालों-साल तक कैंसर और जन्म दोषों के मामले में बढ़ोतरी हो गई और इसने लोगों को अच्छूत बना दिया।
यूनियन कार्बाइड कंपनी
1886 में, यूनियन कार्बाइड की शुरुआत हुई थी। उस समय, यह कंपनी कार्बन उत्पादन के क्षेत्र में कार्यरत थी, लेकिन बाद में इसने केमिकल इंडस्ट्री में प्रवेश किया। इस उत्कृष्ट क्षेत्र में, जबरदस्त प्रगटी हुई, तो चार कंपनियाँ मिलकर एक साथ आईं, और 1917 में ‘यूनियन कार्बाइड एंड कार्बन कॉर्प’ नामक कंपनी की स्थापना हुई। इस नए नाम के साथ, कंपनी ने नए क्षेत्र में काम करना शुरू किया।
इस क्षेत्र में काम करना खतरनाक था, लेकिन डॉलर की चमक के सामने सब कुछ छोटा पड़ गया।
1969 में स्थापित हुई यूनियन कार्बाइड
भोपाल में बसे जेपी नगर के सामने, यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के नाम से भारत में एक कीटनाशक फैक्ट्री की स्थापना की। इसके 10 सालों बाद, 1979 में भोपाल में एक प्रॉडक्शन प्लांट की शुरुआत की गई। इस प्लांट में एक कीटनाशक तैयार किया जाता था, जिसका नाम सेविन था। सेविन वास्तविक रूप से कारबेरिल नामक केमिकल का ब्रैंड नाम था।
रिसाव का मुख्य कारण
इन रिसाव का मुख्य कारण एक दोषपूर्ण सिस्टम था। वास्तव में, 1980 के शुरुआती सालों में कीटनाशक की मांग कम हो गई थी और कंपनी ने सिस्टम की चेकिंग में ध्यान नहीं दिया। कंपनी ने एमआईसी का उत्पादन बंद नहीं किया और अप्रयुक्त एमआईसी का ढेर बना रखा।
नवंबर 1984 में, प्लांट एक गंभीर स्थिति में था। एक खास टैंक, जिसका नाम E610 था, उपर स्थित था। टैंक में 42 टन एमआईसी था, जबकि सुरक्षा के मानकों के अनुसार 40 टन से अधिक नहीं होना चाहिए था, और इसकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं था। 2-3 दिसंबर, 1984 की रात, साइड पाइप से पानी टैंक E610 में घुसने से टैंक में एक तेज़ रिएक्शन हुआ, जिससे तापमान बढ़कर 200 डिग्री सेल्सियस हो गया। यह तापमान विफल सुरक्षा की वजह से बढ़ा और टैंक में दबाव बढ़ा।
इससे टैंक पर इमर्जेंसी प्रेशर पड़ा और 45-60 मिनट के अंदर 40 मीट्रिक टन एमआईसी का रिसाव हुआ, जिससे टैंक से जहरीली गैस का बादल फैल गया। इस गैस के बादल में नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनोमेथलमीन, हाइड्रोजन क्लोराइड, कार्बन मोनोक्साइड, हाइड्रोजन सायनाइड और फॉसजीन गैस थे। जहरीले बादल के चपेट में भोपाल का पूरा दक्षिण पूर्वी इलाका आ गया।
राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस को क्यों मनाया जाता है? पेड़ लगाओं धरती बचाओं
राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस 2 दिसंबर को भारत में मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के महत्व पर जागरूक करना है।
2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाया जाता है क्योंकि इस दिन ही, 1984 में भारत के भोपाल शहर में हुए एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना की याद की जाती है, जिसे भोपाल गैस त्रासदी भी कहा जाता है। इस दुर्घटना में यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से निकलने वाली जहरीली गैस के बवाल ने लाखों लोगों को प्रभावित किया और हजारों की संख्या में मौतें हो गईं। इससे बचाव के लिए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, लोगों को प्रदूषण नियंत्रण के महत्व को समझाने के लिए राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस का आयोजन किया जाता है।
“पेड़ लगाओं, धरती बचाओं” भी एक महत्वपूर्ण संदेश है जो प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए है। पेड़ों को लगाना और रक्षण करना प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है और साथ ही वृक्षारोपण से हम जीवों के लिए शुद्ध हवा और प्रदूषण से मुक्त वातावरण बना सकते हैं।
“पॉलीथीन का तुम करो बहिष्कार, अपने फायदे के लिए ना करो धरती का बलिदान।”
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